नराकास की भूमिका
1.
“नराकास”
का गठन:
राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय के दिनांक
22.11.1976
के का.ज्ञा.सं.
1/14011/12/76-रा.भा.(का-1)
के अनुसार देश के उन सभी नगरों में जहां
केंद्रीय सरकार के
10
या इससे अधिक कार्यालय हों,
नगर राजभाषा कार्यान्वयन
समितियों का गठन किया जा सकता है । समिति का गठन
राजभाषा विभाग के
क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों से प्राप्त
प्रस्तावों के आधार पर
भारत सरकार के सचिव(राजभाषा) की अनुमति
से किया जाता है ।
2. अध्यक्षता:
इन समितियों की अध्यक्षता नगर विशेष में स्थित
केंद्रीय सरकार के
कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि के वरिष्ठतम
अधिकारियों में से किसी एक
के
द्वारा की जाती है । अध्यक्ष को राजभाषा विभाग द्वारा
नामित किया जाता
है । नामित किए जाने से पूर्व प्रस्तावित अध्यक्ष से
समिति की
अध्यक्षता के संबंध में लिखित सहमति
प्राप्त की जाती है ।
3.
सदस्यता:
नगर में स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालय/उपक्रम/बैंक
आदि अनिवार्य रूप
से इस समिति के सदस्य होते हैं । उनके वरिष्ठतम
अधिकारियों(प्रशासनिक
प्रधानों) से यह अपेक्षा की जाती है कि वे समिति की
बैठकों में नियमित रूप
से भाग लें ।
4.
सदस्य- सचिव:
समिति के सचिवालय के संचालन के लिए समिति के अध्यक्ष
द्वारा अपने
कार्यालय से अथवा किसी सदस्य कार्यालय से एक हिंदी
विशेषज्ञ को उसकी सहमति
से समिति का सदस्य-सचिव मनोनीत किया जाता है ।
अध्यक्ष की अनुमति से
समिति के कार्यकलाप सदस्य-सचिव द्वारा
किए जाते हैं ।
5. बैठकें:
इन समितियों की वर्ष में दो बैठकें आयोजित की जाती हैं
। प्रत्येक समिति
की बैठकें आयोजित करने के लिए राजभाषा विभाग द्वारा एक
कैलेंडर रखा जाता है
जिसमें प्रत्येक समिति की बैठक हेतु एक निश्चित महीना
निर्धारित किया
जाता है ।
इन बैठकों के आयोजन संबंधी सूचना समिति के गठन के समय
दी जाती
है और निर्धारित महीनों में समिति को
अपनी बैठकें करनी होती हैं ।
6. प्रतिनिधित्व:
इन समितियों की बैठकों में नगर विशेष में स्थित
केंद्रीय सरकार के
कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि के प्रशासनिक प्रधान
भाग लेते हैं ।
राजभाषा विभाग (मुख्यालय) एवं इसके क्षेत्रीय
कार्यान्वयन कार्यालय के
अधिकारी भी इन बैठकों में राजभाषा विभाग का
प्रतिनिधित्व करते हैं । नगर
स्थित केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद की शाखाओं में से
किसी एक प्रतिनिधि
एवं हिंदी शिक्षण योजना के किसी एक अधिकारी को भी बैठक
में आमंत्रित किया
जाता है ।
7. उद्देश्य:
केंद्रीय सरकार के देश भर में फैले हुए
कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि
में राजभाषा के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने और
राजभाषा नीति के
कार्यान्वयन के मार्ग में आ रही कठिनाइयों को दूर
करने के लिए एक संयुक्त
मंच की आवश्यकता महसूस की गई ताकि वे मिल बैठकर सभी
कार्यालय/उपक्रम/बैंक
आदि चर्चा कर सकें । फलत: नगर राजभाषा कार्यान्वयन
समितियों के गठन का
निर्णय लिया गया । इन समितियों के गठन का प्रमुख
उद्देश्य केंद्रीय सरकार
के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि में राजभाषा नीति
के कार्यान्वयन की
समीक्षा करना,
इसे बढ़ावा देना और इसके मार्ग में आई कठिनाइयों को
दूर करना
है । |