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हर्षद कुमार टी सोलंकी
अध्यक्ष, बैंक नराकास, जयपुर

बृजमोहन मीना
उपाध्‍यक्ष, बैंक नराकास, जयपुर


अम्ब्रेश रंजन कुमार
सदस्य सचिव, बैंक  नराकास, जयपुर

              *   राजभाषा नीति के प्रमुख बिंद

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·          *   प्रशिक्षण संबंधी पावरपॉइंट


 

राजभाषा नीति के कार्यान्वयन संबंधी प्रमुख बिन्दु

  1. सभी सूचना फलक त्रिभाषी ( अर्थात् क्षेत्रीय भाषा, हिन्दी और अंग्रेजी में ) हों तथा इन तीनों के अक्षरों के आकार भी समान हों ।

  2. सूचना फलकों के अलावा अन्य दूसरे बोर्ड जैसे समय सूचिका, आपातकालीन सूचनाएँ आदि द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में ) बनाए जाएँ । क्षेत्रीय भाषा आवश्यकतानुसार लिखी जाए ।

  3. नाम संकेत/पदनाम द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में ) होने चाहिए ।

  4. कार्यालय के वाहनों पर भी बैंक का नाम द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में) हो ।

लेखन सामग्री संबंधी

  1. पत्रशीर्ष, फॉर्म, रजिस्टर, फाइलें, मुलाकाती पत्र, परिचय पत्र एवं अन्य सभी लेखन सामग्रियाँ द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में ) मुद्रित की जाएँ ।

  2. पोस्टर, स्टिकर और इस प्रकार की अन्य सामग्रियाँ द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) मुद्रित की जाएँ ।

  3. भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय मानक स्वरूप ( 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ) का उपयोग किया जाए ।

  4. सभी रबड़ मोहरें / सीलें द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में ) बनवाई जाएँ ।

  5. बैंक का नाम व पता, लिफाफों पर द्विभाषी ( हिन्दी व अग्रेजी में ) मुद्रित किया जाए ।

प्रशिक्षण संबंधी

  1. अधिकारी / कर्मचारी जिन्हें हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान नहीं है, बैंक द्वारा संचालित हिन्दी कक्षाओं अथवा हिन्दी शिक्षण योजना द्वारा संचालित स्थानीय हिन्दी कक्षाओं में भेजे जाएँ या फिर उन्हें पत्राचार पाठयक्म में नामित किया जाए ।

  2. अधिकारी / कर्मचारी जिन्हें हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान है, उन्हें हिन्दी कार्यशालाओं के लिए नामित किया जाए ।

  3. हिन्दी को एक विषय के रूप में प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाए। तथा क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शिक्षा का माध्यम हिन्दी हो ।

प्रकाशन संबंधी

  1. सभी प्रकाशन / पुस्तिकाएँ द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) मुद्रित की जाएँ ।

  2. बैंक के समारोहों के आमंत्रण-पत्र द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) छापे जाएँ तथा आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय भाषा में भी प्रकाशित किये जाएँ ।

  3. अखिल भारतीय स्तर के सभी विज्ञापन द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) विज्ञापित किए जाएँ ।

पत्राचार एवं दस्तावेजीकरण संबंधी

  1. हिन्दी में प्राप्त सभी पत्रों के उत्तर हिन्दी में दिए जाएँ ।

  2. निम्नलिखित कागजात द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) अनिवार्य रूप से जारी किए जाएँ : -

  3. संकल्प, सामान्य आदेश, प्रेस-विज्ञप्ति / विज्ञापन, परिपत्र, सूचनाएँ, नियम, संविदाएँ तथा करार प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए जारी होने वाले सभी कानूनी व अन्य कागज़ात, उच्चतर अधिकारियों को भेजे जाने वाले सभी प्रशासनिक एवं अन्य प्रतिवेदन, संसद को प्रस्तुत होने वाले सभी प्रतिवेदन एवं रिपोर्टें ।

  4. तथा क्षेत्रों को भेजे जाने वाले पत्रों पर पते, देवनागरी में लिखे जाएँ ।

  5. कार्यालय में होने वाले प्रत्येक सम्मेलन, बैठक की सूचना, कार्यसूची तथा कार्यवृत्त द्विभाषी (हिन्दी व अग्रेजी में) जारी किए जाएँ ।

  6. सुनिश्चित करें कि आपके कार्यालय में लक्ष्य के अनुसार हिन्दी में पत्राचार किया जाए ।

  7. जिन कार्यालयों में 80% कर्मचारियों को हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त है, उन्हें राजभाषा नियम 10(4) के अंतर्गत अधिसूचित करने के लिए प्रधान कार्यालय को लिखा जाए ।

  8. हिन्दी की तिमाही प्रगति रिपोर्ट संबंधित कार्यालय को समय पर प्रस्तुत की जाए।

निरीक्षण संबंधी

राजभाषा नीति के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी, शाखाओं, क्षेत्रीय कार्यालयों और अंचल कार्यालयों आदि का निरीक्षण करते समय, हिन्दी के प्रयोग में हुई प्रगति का भी निरीक्षण करें और उसे अपनी रिपोर्ट में दर्शाएँ ।

राजभाषा नियम, 1976 के अनुसार भाषिक क्षेत्र

क क्षेत्र  - उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तरांचल, संघ शासित प्रदेश दिल्ली और अंडमान निकोबार द्वीप समूह ।

ख क्षेत्र  - गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और चंडीगढ़ संघराज्य ।

ग क्षेत्र  -  पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, जम्मू व कश्मीर, गोवा, असम, मणिपुर, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, पांडीचेरी संघराज्य ।

हिन्दी में प्रवीणता

किसी कर्मचारी के बारे में यह समझा जाएगा कि उसे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है यदि

(क)    उसने मैट्रिक परीक्षा या उसके समकक्ष या उससे उच्चतर कोई परीक्षा हिन्दी माध्यम से उत्तीर्ण की है, अथवा

(ख)  स्नातक परीक्षा में अथवा स्नातक परीक्षा के समतुल्य या उससे उच्चतर किसी अन्य परीक्षा में हिन्दी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया हो, अथवा

(ग)   वह इन नियमों के उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है ।

हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान

किसी कर्मचारी के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है यदि उसने

(i)                   मैट्रिक परीक्षा या उसके समतुल्य या उससे उच्च परीक्षा हिन्दी विषय के साथ उत्तीर्ण की है, अथवा

(ii)                  केंद्रीय सरकार की हिन्दी शिक्षण योजना के अन्तर्गत आयोजित प्राज्ञ परीक्षा या उसने सरकार द्वारा किसी विशिष्ट प्रवर्ग के पदों के संबंध में निर्धारित कोई निम्नतर परीक्षा उत्तीर्ण की है, अथवा

(iii)                 केंद्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्धारित कोई अन्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है ।

(iv)                वह इन नियमों के उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है ।

 
हिन्दी ज्ञान संबंधी घोषणा का प्ररूप

( राजभाषा नियम 1976 का नियम 9 और 10 )

मैं इसके द्वारा यह घोषणा करता हूँ कि निम्नलिखित के आधार पर मुझे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है / मैनें हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है

( यहाँ कारण दें )-----------------------------------------------------------------------------------

तारीख -                                            हस्ताक्षर

भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची

[ अनुच्छेद 344(1) और 351 ]

अनुसूचित भाषाएँ
1. असमिया, 
2. उड़िया,       3. उर्दू,      4. कन्नड़,   5. कश्मीरी,   6. गुजराती,  7. तमिल,      8. तेलुगू ,  9. पंजाबी,   10. बांगला, 11. मराठी,   12. मलयालम,        13. संस्कृत, 14. सिन्धी,  15. हिन्दी

वर्ष 1992 में निम्नलिखित तीन भाषाएँ जोड़ी गईं – 
16. कोंकणी,        17. नेपाली,     18. मणिपुरी

वर्ष 2003 में निम्नलिखित चार भाषाएँ जोड़ी गईं
19. मैथिली,        20. बोडो,      21. संथाली,       22. डोगरी

भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नई दिल्ली का महत्वपूर्ण आदेश

हिन्दी संघ की राजभाषा है तथा देश की सम्पर्क भाषा है । अत: भारत सरकार के सभी मंत्रालयों एवं विभागों से अनुरोध है कि वे सरकारी कामकाज में तथा गृह पत्रिकाओं आदि में अहिन्दी भाषीशब्दों के प्रयोग के स्थान पर अन्य भाषा-भाषी अथवा हिन्दीतर भाषी शब्दों का प्रयोग करें तथा अपने संबद्ध तथा अधीनस्थ कार्यालयों, उपक्रमों, बैंकों आदि को भी तदनुसार कार्रवाई करने के लिए अनुरोध करें ।

महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा जारी राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी आदेशों का सार

बैंकिंग प्रभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 21.10.2004 को जारी पत्र सं.1314/5/2004/ हिन्दी के साथ प्राप्त गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, भारत सरकार के दिनांक 17.09.2004 के संकल्प सं.12021/02/2003-राजभाषा (कार्यान्वयन-2) में राजभाषा कार्यान्वयन से संबंधित संसदीय राजभाषा समिति की विभिन्न सिफारिशों पर महामहिम राष्ट्रपति जी के आदेशों की सूचना दी गई है। इन आदेशों का सार इस प्रकार से है :-

1. मानक शब्दावली का निर्माण एवं नए शब्दों के मानक पर्याय सुनिश्चित करना ।

2.  हिन्दी टाइपिंग एवं आशुलिपि की प्रशिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करना ।

3. कंप्यूटर प्रशिक्षण में हिन्दी माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था करना ।

4. राजभाषा नीति के अनुपालन हेतु राजभाषा विभाग को सशक्त और साधन संपन्न बनाना ।

5. कंप्यूटर ऑपरेटरों को दोनों भाषाओं में काम करने के लिए विशेष प्रोत्साहन भत्ता देना ।

6. गोपनीय रिपोर्ट में राजभाषा में कार्य करने संबंधी प्रविष्टियाँ करना ।

7.   क्षेत्र के कार्यालयों में प्रशिक्षण सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना ।

8. राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) का अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु उपयुक्त कदम उठाना ।

9. राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों का आयोजन नियमित रूप से करना ।

10.  विभिन्न भाषित क्षेत्रों में हिन्दी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रभावी कदम उठाना ।

11.  शब्दकोश, शब्दावली, संदर्भ साहित्य एवं हिन्दी पुस्तकों की खरीद पर लक्ष्य के अनुसार राशि खर्च करना ।

12. प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षण सामग्री हिन्दी अथवा द्विभाषी रूप में उपलब्ध कराना ।

13.  सभी परीक्षाओं में साक्षात्कार हेतु हिन्दी माध्यम का विकल्प देना ।

14.  रजिस्टरों, सेवा पुस्तिका आदि में प्रविष्टियाँ हिन्दी में करना ।

15.  सभी प्रकाशन द्विभाषी रूप में निकालना तथा यह सुनिश्चित करना की प्रकाशनों में अंग्रेजी एवं हिन्दी की एक समान सामग्री हो ।

16.  संसदीय राजभाषा समिति को दिए गए आश्वासन एक निश्चित समयावधि में पूरा करना ।

17. ऑटोमेशन के कार्य में हिन्दी को बढावा देना, सभी प्रकार के यांत्रिक एवं इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों को द्विभाषी क्षमता से युक्त करना ।

18.  एवं क्षेत्रों में स्थित कार्यालयों से अंग्रेजी में प्राप्त पत्रों का उत्तर हिन्दी में दिया जाना ।

19. हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के लिए कार्यशालाएँ नियमित रूप से आयोजित करना ।

20.  सभी कार्यालयों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन योजनाओं को अधिक आकर्षक बनाना ।

21. सभी कार्यालयों, उपक्रमों, बैंकों आदि के पत्र शीर्षों पर हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने संबंधी आदर्श वाक्य / स्लोगन छपवाना ।

 
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बैंक ऑफ़ बड़ौदा, अंचल कार्यालय, बड़ौदा भवन , 13, एयरपोर्ट प्‍लाजा,
दुर्गापुरा, टोंक रोड, जयपुर – 302018

Bank of Baroda, Zonal Office, Baroda Bhavan, 13, Airport Plaza,
Durgapura, Tonk Road, Jaipur-302018


फो:  0141- 2727130    फैक्स: 0141- 2727130

कॉपीराइट   2016 : बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (Bank TOLIC), जयपुर, सर्वाधिकार सुरक्षित

 

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